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लेखनी कहानी -01-Aug-2023 वो हमसफ़र था, एपिसोड 25

"अभीर,, ये शायद सही जगह और सही समय भी नहीं लेकिन कुछ है, जो शायद तुझे बहुत पहले पता होना चाहिए था, लेकिन मुझमे हिम्मत नहीं थी इसलिए बता नहीं पाया था " हंशल अपनी बात पूरी कर पाता तब ही उसे इस स्वर में बात करते देखा अभीर ने उसके कांधे पर हाथ रखा और बोला " क्या बात है, भाई? तू तो कुछ ज्यादा ही अजीब तरह की बाते नहीं कर रहा है,,, मानो तूने कोई बड़ा राज मुझसे छिपाया हो चिल भाई,,, इस तरह से बात मत कर,,, अब बता बात क्या है?

हंशल ने अभीर की तरफ देखा फिर दूर बैठी हनिश्का की तरफ, जो कि शायद उसे ही देख रही थी, इसलिए उसने अपनी आँखे झपका कर उसकी और इशारा किया

"हाँ, भाई कुछ बोलेगा भी,,, या यूं ही सस्पेंस क्रिएट करता रहेगा " अभीर ने कहा

"भाई,, वो दरअसल मैं और हनिश्का एक दुसरे से प्यार करते है,,, हमें खुद पता नहीं चला कि कब हम एक दुसरे को इतना पसंद करने लगे,,, भाई ये प्रेम कहानी थर्ड ईयर से चल रही है,,, मैं तुझे बहुत पहले बता देता,,, लेकिन तू जानता है कॉलेज मैं कोई भी बात ज़ब तक ही अपनी रहती है ज़ब तक कि वो तुम्हारे तक है,,, उसके बाद जंगल की आग की तरह फेल जाती है " हंशल और कुछ बोल पाता तब ही अभीर आँखों में गुस्सा लिए खड़ा हो जाता है और उसका गिरेहबान पकड़ कर कहता है " दगाबाज,,, इतनी बड़ी बात तूने मुझसे छिपायी,,, वो भी मुझसे "

"अ,, अ,,, अभ ,, अभीर,,, अभीर मेरे भाई,,, मेरी बात तो सुन" हंशल ने घबराते हुए कहा

क्या सुनु,,,? नहीं क्या सुनु,,, तुम दोनों की प्रेम कहानी सुनी या तेरी गद्दारी सुनु,,,, धोखेबाज,,, मैं तुझे अपना भाई मानता था,,, तुझसे अपनी हर बात साँझा करता था और तू,,, तूने मुझसे इतनी बड़ी बात छिपायी,,, थर्ड ईयर से तुम दोनों का प्रेम प्रसंग चल रहा था,,, और तू मुझे अब बता रहा है,,, दगाबाज,,, झूठे मक्कार,,, बेशर्म,, तुझे शर्म नहीं आयी इतनी बड़ी बात तू मुझे अब बता रहा है, अभीर ने कहा उसका गिरेहबान पकड़ कर

क्लास के सारे बच्चें हैरान हो गए थे, उन्हें इस तरह देख कर, उन्हें लग रहा था मानो वो मज़ाक कर रहे है या फिर वो कोई सपना देख रहे है,

हनिश्का, जो की जान गयी थी कि हंशल ने सब बता दिया है, वो उसे बचाने के लिए आगे बड़ी ही थी कि उसके कदम रुक गए,,,

अभीर,,, और हंशल के बीच हाथा पायी शुरू हो गयी थी,,, अभीर ने हंशल को एक दो घूसे मार दिए थे और भी बहुत कुछ कह रहा था,,

अभीर,,,, मेरे भाई,,, मेरी बात सुन,,,, मैं जानता हूँ तेरा मुझे इस तरह अपने प्यार के बारे में बताना वो भी इतने दिनों बाद बुरा लगा है,,, तू बस अपना गुस्सा निकाल रहा है,,, मैं जानता हूँ ज़ब तू ठंडे दिमाग़ से मेरी बात सुनेगा तब तू सब समझ जाएगा, हंशल अपनी बात को रखते हुए कुछ और कहता तब ही अभीर बोल पड़ा

"क्या सफाई देगा तू,,, क्या ठंडे दिमाग़ से सोचूंगा मैं,,, तूने विश्वास घात किया है,,,, मेरे विश्वास और भरोसे की चिता जलाई है तूने,,,, मुझे कितना मान था तुझ पर,,, अपने खून के रिश्ते से ज्यादा अहमियत दी मैंने तुझे,,, और तूने क्या किया,,, इतनी बड़ी बात मुझसे छिपायी,,,, तुम दोनों एक दुसरे से प्यार करते हो,,, ये बात मुझसे छिपायी,,, अपने भाई समान दोस्त से छिपायी,,, सही कहता था अभिनव तुम जैसे लोग ऐसे ही होते हो, मेरे साथ दोस्ती की,, ताकि अपना मतलब निकल सके,,, तेरे लिए अच्छा होगा एक अमीर लड़के की दोस्ती और फिर उसी दोस्ती के चलते क्लास की सबसे अच्छी लड़की को फसा लिया,,, ये किया तूने,,, दूर हो जा अभीर इससे पहले मैं कुछ और कर बेठू " अभीर ने कहा उसे धक्का देते हुए

"अभीर,,, मेरे भाई,,, भगवान के लिए इस तरह की बाते मत कह,,, देखना ज़ब तुझे इस सच्चाई को छिपाने के पीछे का कारण अच्छे से समझ आएगा तब तू बहुत पछतायेगा, तब तू आएगा मेरे पास,,, " हंशल और कुछ कह पाता तब ही अभीर बोल पड़ा

"पछतावा,,, पछतावा माई फुट,,, पछताएगा तो तू अब और ये लड़की,,, जिसकी वजह से तूने मेरे साथ विश्वास घात किया,,, हाँ यही लड़की जिसने मेरे दोस्त को मुझसे छीना है,,, देखो कॉलेज वालो,,, देखो,,, एक लड़की कैसे दो दोस्तों को अलग करा देती है,,,, कैसे उसके आते ही उसका दोस्त उससे बाते छिपाने लगता है,,,, उससे झूठ बोलने लगता है,,, कहदे कि तू कल रात इसके साथ ही बाते कर रहा था और मेरे पूछने पर पढ़ाई और लेक्चर का झूठा बहाना बनाया था तूने " सामने ख़डी हनिश्का की तरफ ऊँगली करते हुए अभीर ने कहा

उसका इस तरह पूरे क्लास के सामने हनिश्का पर ऊँगली उठाने की वजह से सारा क्लास हनिश्का की तरफ देख रहा था, बच्चें काना फूसी करते नजर आ रहे थे, उसे कही से सुनाई दिया " तोबा,,, तोबा,,, कितनी मासूम दिखती है शक्ल से,,, और हरकतें देखो,,,

इसी के साथ और भी अजीब अजीब तरह की बाते बनने लगी थी हनिश्का के ऊपर, हनिश्का माटी की मूरत की तरह उन सब के बीच बेसुध सी नजरें झुकाये ख़डी थी,,, उसकी झुकी नजर बता रही थी कि हंशल ने उसे आज बदनाम कर दिया,,, उसने उसे रुसवा कर दिया अब वो कही कि नहीं रहेगी,,, क्लास से निकल कर बात कॉलेज तक जाएगी उसके बाद उसके घर और मोहल्ले तक उसके बाद वो कही भी मूंह दिखाने के काबिल नहीं रहेगी

वो ये सब सोच ही रहा था कि उसने एक ज़ोरदार चीख मारते हुए कहा " नही,,, नहीं,,,, ऐसा नहीं हो सकता,,, ऐसा नहीं हो सकता "

उसका चीख मरना था कि पूरा क्लास बस उसे ही देखने लगा,, दूर बैठी हनिश्का भी उठ ख़डी हुई उसकी वो हालत देख चाह कर भी उसके पास न जा सकी,,, तब ही हंशल ने उसे संभाला और उसके गाल पर मारते हुए बोला " हंशल,,, हंशल मेरे भाई,,, क्या हुआ तुझे तू ठीक तो है,,, बता तू ठीक तो है "

हंशल,, जो कि अभीर के सीने से लगा हुआ था,,, उसे इस तरह बोलते देख,,, उसने खुद को संभाला इधर उधर देखा खास कर दूर ख़डी हनिश्का को जो कि उस जैसी अवस्था में नहीं ख़डी थी जैसा की उसने उसे देखा था

उसने गहरी सी सास ली और कहा " माफ! करना शायद कही खो गया था "

"कहा खो गया था,,, तू तो मुझे कुछ बताने वाला था,,, मैं तुझे कब से आवाज़ दे रहा था लेकिन तू था कि जाने कहा और किन ख्यालों में खो गया था" अभीर ने कहा।

हंशल जिसकी सास अभी भी हलक में अटकी हुई थी,,, उसे यकीन नहीं आ रहा था जो उसने देखा वो बस एक वहम था, थोड़ी देर बाद उसे ज़ब यकीन आ गया कि वो वाकई वहम था तब जाकर उसने राहत की सास ली, लेकिन तब ही अभीर बोल पड़ा " मेरे भाई, अब बता भी दे,,, इतना सस्पेंस तो मूवीज में नहीं होता जितना की तू रख रहा है "

हंशल ने एक नजर हस्ती हुई और सवालिया नजरो से उसकी हालत का पूछ रही हनिश्का की तरफ देखा और फिर दूसरी तरफ अभीर की तरफ देख कर अपने दिमाग़ में तर्क वितर्क करते हुए सोचने लगा कि ये शायद सही वक़्त और सही समय नहीं है,,, भगवान न करे जो उसने अभी देखा वैसा ही कुछ हकीकत में हो गया तो मेरा प्यार तो सारे बाजार बदनाम हो जाएगा,,, और मैं ऐसा हरगिज नहीं कर सकता,,, अभीर नाराज तो होगा मुझे उसकी नाराजगी मंजूर है,,, उससे पिटाई खा लूँगा ज्यादा से ज्यादा एक दो दिन की नाराजगी होगी बर्दाश्त कर लूँगा,,, आखिर प्यार करने वालो को परीक्षा तो देनी ही पडती है,,, मैं अपने दोस्त की कुछ दिन की नाराजगी बर्दाश्त कर ये परीक्षा दे दूंगा,,, लेकिन अपने प्यार को यूं इस तरह बदनाम नहीं कर सकता,,, नहीं ये सही समय नहीं है।

"हाँ,, भाई क्या हुआ है, तुझे? चल तू डॉक्टर के पास चल,, ज़ब देखो टेप रिकॉर्डर की तरह तेरी केसिट रुके ही जा रही है, अब वो ही तुझे ठीक करेगा " अभीर ने उसके कांधे पर हाथ मारते हुए कहा।

"नही,, नही,,, उसकी कोई जरूरत नही,,, मैं ठीक हूँ,,, और कोई ऐसी वैसी बात नही है,,, बस तेरे साथ मज़ाक कर रहा था,,, जानना चाह रहा था कि तू जितना चलाक अपने आप को समझता है उतना है भी या नही " हंशल ने चहरे पर मुस्कान सजा कर कहा

"अच्छा,,, ये बात है,, अभी बताता हूँ " अभीर ने कहा और हंशल को पीटने के लिए उसके पीछे दौड़ा लेकिन तब ही प्रोफेसर आ गए और दोनों अपनी अपनी सीट पर बैठ गए।

"लंच ब्रेक में जवाब दूंगा इस बात का,," अभीर ने कहा उसकी तरफ गुस्से से ऊँगली दिखाते हुए

"देखा, जाएगा,,," हंशल ने कहा और किताब खोल कर बैठ गया

लेकिन उसका धयान अभी भी उसी बात पर था ज़ब उसने अभीर को उस रूप में देखा था, जिसमे शायद वो उसे कभी नही देखना चाहएगा, उसने गर्दन हिलाकर अपना ध्यान उस और से हटाते हुए सामने प्रोफेसर की तरफ किया,,, लेकिन कुछ विचार मन में बहुत ही पक्की स्मृति बना लेते है वो इतनी जल्दी भूले नही भूलते और हंशल के साथ भी वही हो रहा था।

वही दूसरी तरफ, कॉलेज के गेट कीपर को कुछ पैसे देकर अभिनव अपने दोस्त के साथ कॉलेज से क्लास बंक करके निकल जाता है, अपनी गाड़ी की तलाश करने

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